हमारे बारे में

सबसे मुश्किल काम होता है अपने बारे में लिखना। बात है सन् 2004 की जब मैंने ‘ओ’ लेवल पढ़ाना शुरू किया तो पाठ्य सामग्री की कमी बहुत खली। कुछ सालों बाद आई.जी.सी.एस.ई में हिंदी पढ़ाने का अवसर प्राप्त हुआ। यहॉं भी हिंदी भाषा में संसाधनों की खोज अपने आप में एक अच्छा खासा गृहकार्य हुआ करता था। तब मन में ख्याल आया कि यह तो सिर्फ मेरी ही नहीं बल्कि समस्त शिक्षक-शिक्षिकाओं की समस्या है। इस विचार ने मेरी उत्सुकता को जगाया। वहीं से यह दौर चल पड़ा। शुरूआत हुई ‘हिंदी द्वितीय भाषा के रूप में’ नामक पुस्तक से। तब से यह सिलसिला अनवरत् रूप से ज़ारी है। ‘कवन एजुकेशन’ इसमें नई कड़ी है।